मन्नते फाउंडेशन ने प्रधानमंत्री के 75वें जन्मदिन पर सजाया काव्य मंच

Gargachary Times 18 September 2025, 20:41 106 views
Agra News
मन्नते फाउंडेशन ने प्रधानमंत्री के 75वें जन्मदिन पर सजाया काव्य मंच
आगरा। मन्नते फाउंडेशन की ओर से नारी शक्ति काव्योत्सव का आयोजन फतेहाबाद रोड स्थित डबल ट्री बाय हिल्टन में आयोजन किया गया। शुभारम्भ एमएलसी विजय शिवहरे, खेरागढ़ चेयरमैन गुड्डू गर्ग, प्रिंसिपल इनकम टैक्स कमिश्नर अनुपम कांत गर्ग, इन्कमटैक्स अधिकारी तरुण सैनी और जॉइंट कमिश्नर जीएसटी राजेश टंडन ने दीप प्रवज्जलित कर किया। संस्था के मुख्य संरक्षक डॉ. विजय किशोर बंसल ने कहा कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी विकसित भारत के स्वपनद्रष्टा राष्ट्र के नवनिर्माण के शिल्पकार है और उनके 75वें जन्मदिन पर नारी शक्ति का काव्यपाठ समर्पित है। अध्यक्ष गौरव धवन ने कहा कि मोदी जी ने भारत का नाम विश्व पटल पर पहुंचा दिया है। ऐसे युग पुरुष नरेंद्र मोदी को काव्य पाठ के माध्यम से शुभकामनाये देने का अनूठा प्रयास किया है। सभी अतिथियों का का स्वागत कुलदीप ठाकुर, अतुल तिवारी और मधुकर चतुर्वेदी ने किया। गाज़ियाबाद से आयी शिखा दीप्ति दीक्षित ने पढ़ा कि रूह को तार-तार मत करना बे वज़ह ऐतबार मत करना, जो बना ना सके तुम्हें दुल्हन उसपे खुदको निसार मत करना.., राजस्थान के दौसा से आयी कार्यक्रम की सूत्रधार सपना सोनी ने काव्यपाठ करते हुए कहा कि तेरी चाहत में हद से गुज़र जायेंगे, जो भी करना पङेगा वो कर जायेंगे, गर तङप कर रुकी सांस मेरी कभी, सारे इल्ज़ाम तेरे ही सर जायेंगे..., गुलाबी नगरी जयपुर से आयी दीपा सैनी ने कहा कि तुमको राम प्रिये है, लेकिन हमको सीता प्यारी है, वो आदर्श तुम्हारे हैं तो ये आदर्श हमारी है..। महाराष्ट्र के नागपुर से आयी श्रद्धा शौर्य ने कहा कि सुनो के कैसे जली पद्मिनी शील बचाने की खातिर और तुमने सारी शर्म बेच दी रील बनाने की खातिर.., मध्य प्रदेश के रतलाम से आयी सुमित्रा सरल ने बड़े ही सरल भाव से पढ़ा कि काँटों के भाग्य को कहाँ गुलफाम मिला है, सबको कहाँ पे प्यार का पैगाम मिला है, राधा की चाह को तो वो मिला है हर घडी, गोपी की चाह को कहाँ घनश्याम मिला है..। कान्हा की नगरी मथुरा से आयी पूनम वर्मा ने मंच से कहा कि जाने किस धुन में खो गई हूँ मैं, रूह जागी है सो गई हूँ मैं, जब से कान्हा को मैंने जाना है, तब से मीरा सी हो गई हूँ मैं.., तालो के शहर अलीगढ से आयी मुमताज़ नसीम ने कहा कि बदरिया रे वहां जाके बरसो रे जहां मोर संवरिया.. गुजरात के शहर सूरत से आयी सोनल जैन ने कहा कि हास परिहास रहे कोई न उदास रहे इसलिए उर उपजायी गई कविता, हुस्न के रिसालों में गई है़ नहलाई और गजरे के फूलों से सजाई गई कविता.. सुनाई को श्रोताओ ने खूब वाहवही की। मंच संचालन श्रुति सिन्हा ने किया। इन्हे किया सम्मानित दीपांशु अग्रवाल, सीए पवन अग्रवाल, शम्बू नाथ चौबे, प्रशांत मित्तल, सौरभ अग्रवाल, कुलदीप पाठक, अमित खत्री, विशाल शर्मा, मनीष बंसल, एड. नितिन वर्मा, डॉ. कैलाश चंद्र सारस्वत, डॉ. हरीनारायण चतुर्वेदी, कोमिला डेम्ब्ला, नितेश शिवहरे, अमरेंद्र कर्ण, चंद्रकांत गुप्ता, अरुण सक्सेना, नीरज अग्रवाल, अंजुल कुलश्रेष्ठ, अंकिता सिंह, डॉ. कपिल सिंघल, कृष्णा गुर्जर, राधा तिवारी, रमा पचौरी, डॉ. राशि गुप्ता, डॉ. राहुल राज, डॉ. गिरधर शर्मा, विशाल संगरी, विनीत चौपड़ा, वेद डेम्ब्ला को स्मृति चिन्ह देकर सम्मानित किया।