सिंगल यूज प्लास्टिक पर नही लग पा रहा बैन
Gargachary Times
25 September 2025, 21:06
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सरकार के लाख प्रयासों एवं कानून बना देने के बाद भी जीवो के लिए घातक माने जाने वाली सिंगल यूज प्लास्टिक का उपयोग बजायघटने के लगातार बढ़ता जा रहा है तथा कानून महज कागजों पर सिमट कर रह गया है संबंधित से विभाग द्वारा कभी कबार अभियान चला कर कुछ सिंगल यूज प्लास्टिक जप्त कर करने के बाद जला दी जाती है किंतु इस कानून के अनुपालन के लिए ठोस प्रयास धरातल से कोसों दूर है
दरअसल सिंगल उसे प्लास्टिक एक बार प्रयोग के बाद फेंक दिया जाता है जिसमें प्लास्टिक बोतल बैग स्ट्रॉ के खाद्य पैकेजिंग इत्यादि होते हैं यह जीवाश्म ईंधन से बने होते हैं तथा हजारों साल तक पर्यावरण में बने रहते हैं जिस मिट्टी भूजल एवं समुद्री जीवन को भारी नुकसान पहुंचता है नदियों झीलों महासागरों मैं पहुंचने पर जलीय जीवों का जीवन इसी के कारण संकट में पड़ जाता है तथा हजारों साल तक बने रहने से जलीय जीवों का जीवन खतरे में रहता है हजारों साल तक बने रहने से मिट्टी एवं भूजल को दूषित करता है तथा जानवरों के पेट में पहुंचने पर जानवर की मृत्यु तक हो जाती है एक बार प्रयोग करने वाले जीवाश्म ईंधन से बने इस पॉलिथीन से माइक्रो प्लास्टिक भोजन श्रृंखला में प्रवेश कर सकते हैं जो मानव को भारी नुकसान पहुंचा सकता है
इसी खतरे को देखते हुए भारत में 1 जुलाई 2022 से सिंगल उसे के प्लास्टिक पर प्रतिबंध लगा दिया गया है जो पर्यावरण संरक्षण अधिनियम 1986 के तहत आता है कानून के मुताबिक सिंगल उसे प्लास्टिक के निर्माण आयात भंडारण वितरण एवं उपयोग पर पूरी तरह रोग है जिसमें प्लास्टिक की स्टिक वाले ईयर वडस प्लास्टिक के झंडे डिस्पोजेबल प्लेट एवं ग्लास के चम्मच कांटे सीट बैनर एवं थर्मोकोल शामिल हैं
इस कानून का उल्लंघन करने पर पहली बार में 5 वर्ष तक जेल या एक लाख तक जुर्माने का प्रावधान है तथा इसके बाद उल्लंघन करने पर 7 साल तक जेल का प्रावधान है
पर्यावरण विदों के अनुसार बास कपड़े अथवा कागज से बनेबैग जूट केले के पत्तो से बने थैले एवं थैलियों का प्रयोग किया जा सकता है जहां तक रीसाइक्लिंग का सवाल है तो यह व्यवस्था फिलहाल ना तो संभव है और नहीं सरकारे इस और प्रयासरत हैं
वास्तविकता के धरातल पर देखा जाए तो आज भी सामान्य जीवन में एवं दुकानदारी में सिंगल उसे प्लास्टिक दिनचर्या का हिस्सा बन गया है जो के संपूर्ण मानव जाति के लिए तथा पर्यावरण के लिए खासा घातक है इसके लिए जन जागरण एवं जागरूकता फैलाने की आवश्यकता है तथा संबंधित विभाग एवं जिम्मेदार अधिकारी नियमित रूप से प्रभावी कार्यवाही करें ताकि भविष्य में उत्पन्न होने वाले भीषण संकट से बचा जा सके